Thursday, November 18, 2010



मेरे पापा



मैने जब भी घुटने टेके

उनके घुटने दुखते हैं .

मैं रोऊं तो वो भीगे से

पलकों पर ही फिरते हैं

वो मेरी खुशियों में ही

अपने सपने बुनते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं


रात रात भर जागे जागे

मेरे लिये घड़ी दुनिया

कतरा कतरा नमक बहा कर

मुझको दी सारी खुशियां

उनके बनाये हर गहने में

मेरे ख्वाब चमकते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं


मैं टूटा तो वो भी बिखरे

मैं जीता तो जीत गये

मै जब जब भी हुआ अकेला

कंधे पर वो हाथ मिले

अंधेरों में हाथ पकड़ कर

रौशन दुनिया करते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं


तेज धूप में आड़ मे लेकर

सारी छाया मुझको दी

खुद सोये गीले बिस्तर पर

गरम रजायी मुझको दी

मौसम बदले दुनिया बदली

पापा नहीं बदलते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं