Saturday, March 3, 2012

‎"तू"

दीवाली तू मेरी ईद भी तू,
आंखों का शौक़े दीद भी तू
दुनिया में मेरा नाम भी तू
मेरी सुबह तू और शाम भी तू
दिल में क़तरा ए जान भी तू
मेरा क़ुफ़्र भी तू, ईमान भी तू
मेरी काबा तू मेरी काशी तू
मेरे दिल की रज़ा ज़रा सी तू
मेरी तुलसी तू मेरा पीपल तू
मेरा हर दिन तू मेरा हर पल तू
मेरा मौला तू मेरा शंकर तू
सांसों का चलता चक्कर तू
मेरा मुंसिफ तू मेरा क़ाज़ी तू
मेरा रब राज़ी जो राज़ी तू
मेरा मक़्ता तू , तू मेरी गज़ल
मैं ज़िन्दा हुँ , है तेरा फ़ज़ल
मेरा दाना तू मेरा पानी तू
मेरी दुनिया का मानी तू
तपती लू में ठंडाई तू
सर्दी में गर्म रज़ाई तू
सहरा में कोई चश्म सा तू
उल्फत की कोई नज़्म सा तू
शरद पूनम की खीर सा है
तू कोई मज़ारे पीर सा है
होली के रंग अबीर में तू
मीरा मे तू, कबीर में तू
मुल्ला में तू बामन में तू
मां के महके दामन में तू
तू कातिक फागुन भादौ सा
कभी राधा सा कभी माधौ सा
तू चान्द सितारे सूरज में
तू कण कण में तू रज रज में
मस्ज़िद में लगी क़तारों में
मन्दिर के भोग सिंजारों में
तू सब बच्चों के बस्तों मे
तू जंगल मे, तू रस्तों में
मैं क्या हूँ मेरी क्या हस्ती
मैं तेरा, मेरा सब कुछ तू

Wednesday, June 22, 2011

इक कागज़ की नाव पर कल्,
मैने कुछ् तेरे नाम लिखा था,
और छोडा था उसे उस पानी मैं ,
जो बहा था बारिशों में मेरे घर से तेरे दर की ओर.
दूर तक नज़रों ने पीछा भी किया था उसका ,
सुबह उठा तो पता चला कि वो सपना था....
बाहर देखा तो सडकें लबालब थी पानी से.
हिस्ट्री की कोपी से पन्ना भी फटा मिला.
एक बार दरवाज़े से बाहर देखना,
मेरा सपना बह कर आया हो तो सुखा कर रख लेना !!!

Thursday, November 18, 2010



मेरे पापा



मैने जब भी घुटने टेके

उनके घुटने दुखते हैं .

मैं रोऊं तो वो भीगे से

पलकों पर ही फिरते हैं

वो मेरी खुशियों में ही

अपने सपने बुनते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं


रात रात भर जागे जागे

मेरे लिये घड़ी दुनिया

कतरा कतरा नमक बहा कर

मुझको दी सारी खुशियां

उनके बनाये हर गहने में

मेरे ख्वाब चमकते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं


मैं टूटा तो वो भी बिखरे

मैं जीता तो जीत गये

मै जब जब भी हुआ अकेला

कंधे पर वो हाथ मिले

अंधेरों में हाथ पकड़ कर

रौशन दुनिया करते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं


तेज धूप में आड़ मे लेकर

सारी छाया मुझको दी

खुद सोये गीले बिस्तर पर

गरम रजायी मुझको दी

मौसम बदले दुनिया बदली

पापा नहीं बदलते हैं

मेरे पापा मेरे जैसे

मुझ में ही तो बसते हैं