अपनी आंखों में सीने के
ज़ख्म छुपाये बैठे हैं
हम ने कभी इक सच बोला था
होठ जलाए बैठे हैं........
लम्हा लम्हा किरचे किरचे
दिल हुआ है चक मगर
बुझी राख में भी शोलों की
आग दबाये बैठे हैं.........
सूनी आँखें सूने अरमां
सूनी यादें सूना दिल
वो आयें तो रौनक हो
उम्मीद लगाये बैठे हैं ........
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